O Khuda
It’s a prayer of an atheist who suspects in existence of God. He feels that if there is God then do this much to me so that I also start believing in him.
ग़र है तू खुदा तो फिर कोई एहसास दे।
टूटा हुआ हूँ मैं मुझे फिर तू सांस दे।
ज़िन्दगी दे के जीने की वजह छीन ली।
ग़र वो है तो उसे भी ये बेशबब प्यास दे।
विश्वास की डोर थामे चल रहा था मैं।
किसने किया विश्वासघात वो चेहरा तराश दे।
उसे पा के उठा था मैं खुद की नज़र में।
अंधकार में हूँ मैं मुझे तू प्रकाश दे।
क्यूँ रिश्ते छोटे पड़ रहे समाज में।
मुझे फिर से तू वो रिश्ते ख़ास दे।
बता दूँ जहान को कि बेक़सूर हूँ मैं।
हौसला दे मुझे या उसे विश्वास दे।
मिट जाए हर दिल से ये नफरत।
तू हर दिल में यूँ इक मिठास दे।
ग़र है तू खुदा तो फिर कोई एहसास दे।
टूटा हुआ हूँ मैं मुझे फिर तू सांस दे।
Amazing poem bro, quite meaningful. Thank you for sharing 🙂
Thanks Prasanna.
Glad you liked it. Thanks for commenting. 🙂